तुझे सोचता हूँ मैं शाम और सूबह,
इससे जादा तुझे और चाहूँ तो क्या ...!
तेरे ही ख्यालों में डूबा रहूँ,,
इससे जादा तुझे और चाहूँ तो क्या...!!
गरूर तो नहीं करता लेकिन
इतना यकीन " जरूर " हैं , , , ,
कि अगर " याद " नहीं करोगे
तो " भुला " भी नहीं सकोगे , , , , , !
*वो एक खत जो तुमने कभी लिखा ही नहीं*,
*मैं रोज़ बैठ के उसका जवाब लिखता हूँ!*
इससे जादा तुझे और चाहूँ तो क्या ...!
तेरे ही ख्यालों में डूबा रहूँ,,
इससे जादा तुझे और चाहूँ तो क्या...!!
गरूर तो नहीं करता लेकिन
इतना यकीन " जरूर " हैं , , , ,
कि अगर " याद " नहीं करोगे
तो " भुला " भी नहीं सकोगे , , , , , !
*वो एक खत जो तुमने कभी लिखा ही नहीं*,
*मैं रोज़ बैठ के उसका जवाब लिखता हूँ!*
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